Sunday, January 20, 2013

कविता में कला और संस्कृति के अनूठे दृष्य चितराम









कविता देवै दीठका लोकार्पण

समालोचक डॉ. श्रीलाल मोहता ने कहा कि डॉ. राजेशकुमार व्यास ने राजस्थानी कविता में नई शुरूआत की है। व्यास की कविताएं समय के संदर्भ सहेजे संगीत, नृत्य, चित्रकला आदि तमाम हमारी कलाओं से हमारा सघन नाता कराती है। 
उन्होंने कहा कि हिन्दी और दूसरी भाषाओं में तो फिर भी कलाओं पर कविताएं लिखी गयी है परन्तु राजस्थान में इस तरह का कोई प्रयास अभी तक नहीं देखने में आया था, इस लिहाज से राजेश व्यास ने राजस्थानी में कविता की नई जमीन तैयार की है। उन्होंने व्यास की पैनी काव्य दृष्टि, संवेदना और परख की गहरी समझ की चर्चा करते हुए कहा कि वह ऐसे शब्द शिल्पी हैं जो शब्द के ओज की अपने लिखे में निरंतर खोज करते हैं।
डॉ. मोहतासवादसंस्थान की ओर से अजित फाउण्डेशन में कवि, आलोचक, स्तम्भकार और सूचना एवं जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. राजेश कुमार व्यास के राजस्थानी कविता संग्रहकविता देवै दीठके लोकार्पण समारोह में संबोधित कर रहे थे। इससे पहले डॉ. व्यास ने अपना कविता संग्रह शब्द संस्कार प्रदान करने के निमित अपनी माता एवं पूर्व प्राचार्या श्रीमती शांति व्यास को समर्पित कर उन्हीं से संग्रह का लोकार्पण करवाया। वरिष्ठ साहित्यकार श्री लक्ष्मीनारायण रंगा ने व्यास की शब्द अभिव्यंजना की सराहना करते हुए कहा कि उनके पास अद्भुत दृष्टि है। कविता और साहित्य की तमाम दूसरी विधाओं में वह जो लिखते हैं, उससे परिवेश, स्थान और कलाएं हमारी आंखो के समक्ष अनायास ही उद्घाटित होती है। राजस्थानी कविता में यह उनकी प्रमुख देन ही कही जाएगी कि उन्होंने कविता में कला और संस्कृति के अनूठे दृष्य चितराम उकेरे है।
इस मौके पर डॉ. व्यास ने कहा कि कविता उनके भीतर के खालीपन को भरती हैजीवन की  तमाम दूसरी विषमताओं, विसंगतियों से जूझने का सहारा देती है उन्होंने संग्रह में से चुनिन्दा कवितावों का पाठ भी किया 
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए सुप्रसिद्ध कवि, आलोचक डॉ. मदन केवलिया ने कहा किकविता देवै दीठके जरिए व्यास के संवेदनशील कवि मन को गहरे से समझा जा सकता है। उन्होंने संग्रह कीशब्दकविताओं की चर्चा करते हुए कहा कि व्यास ने अपनी कविताओं से राजस्थानी शब्दों को अपने तई संस्कारित किया है।
इससे पहलेकविता देवै दीठसंग्रह पर कवि, कथाकार प्रमोद शर्मा ने विस्तार से आलोचनात्मक टिप्पणी रखी। उन्होंने कहा कि व्यास की सूक्ष्म बिम्ब, प्रतीकों के जरिए थोड़े में बहुत कुछ कहने वाले कवि हैं। अंतर्मन संवेदनाओं को कविताओं में गहरे से जीने वाले व्यास के पास संस्कृति और समय की अनूठी व्यंजनाएं हैं। उनकी कविताओं में दार्शनिक बोध है तो जीवन से जुड़ी अनुभूतियों की अद्भुत लय भी है। महाजन से आए कवि डॉ. मदन गोपाल लढ्ढा ने कार्यक्रम संचालन करते हुए डॉ. व्यास के लेखकीय सरोकारों और उनकी काव्य संवेदनाओं से जुड़े पहलुओं के बारे में विस्तार से बताया। सहायक जनसम्पर्क अधिकारी, कवि हरिशंकर आचार्य ने बताया किसंवादव्यास के कविता संग्रह लोकार्पण आयोजन से गौरवान्वित है।संवादके अविनाश आचार्य ने संस्था की गतिविधियों के बारे में जानकारी दी और आयोजन के महत्व पर प्रकाश डाला। 
लोकार्पण समारोह में युवा कवि, आलोचक नीरज दईया, कथाकार नवनीत पाण्डे, जागती जोत के सम्पादक, कवि,कथाकार रवि पुरोहित, खेल लेखक मनीष जोशी, जलेस के लोकेश आचार्य, सुप्रसिद्ध कलाकार सन्नू हर्ष, योगेन्द्र पुरोहित, मरू व्यवसाय चक्र के संपादक डॉ. अजय जोशी, नाटककार हरीश बी.शर्मा, पत्रकार भवानी जोशी सहित, ओम सोनी, रंगकर्मी रामसहाय हर्ष सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन उपस्थित थे।