आखर दीठ
- डॉ. राजेश कुमार व्यास
Sunday, June 3, 2012
सबद, रंग अर राग
कूदरत री कोरनी
सूं उपजै
सबद, रंग अर राग
कानां मांय सुणीजै
नीझर ज्यूं खळकतो कंठ
विगत बणै
मिठी मिमझर पीड़
म्हूं अवेंरू
थारो हेत
थरपूं
नूंवा थान
सांमी आवै
जूण-जातरा रा
अलोप हुयौड़ा
सांवठा चितराम!
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