कभी राजस्थानी में संस्मरण और डायरी विधा में भी बहुत कुछ निरंतर किया है...
आज पुरानी कुछ प्रकाशित रचनाएं मिली तो लगा, इतने संस्मरण हैं कि पुस्तक ही आ जाए।
बिज्जी, मनोहर श्याम जोशी, कमलेश्वर, विद्यानिवास मिश्र, शंकरदयाल शर्मा, पंडित भीमसेन जोशी, पंडित जसराज, प्रयाग शुक्ल, मो. सद्दीक सा., श्रीलाल नथमल जोशी, अन्नाराम सुदामा, किशोर कल्पनाकांत, मनोहर शर्मा, यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र' आदि के सान्निध्य की यादें पहले पहल राजस्थानी भाषा में ही अंवेरी थी। वर्ष 1995 से निरंतर 'जागती जोत', 'माणक' और प्रकाशित होकर बंद हुई बहुतेरी राजस्थानी पत्र—पत्रिकाओं में संस्मरण, डायरी छपी थी।
बहरहाल, कमलेश्वर पर लिखा संस्मरण यहां आपके लिए...
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